आपन स्वार्थ के लक आर मिलैली
गजलकार -सुमित चौधरी
आपन स्वार्थ के लक आर मिलैली
छित्रल जवानी सुधर्ना तार मिलैली
कहे हर्दम खेल्वार कर्ति घुम्लो टुँ
मजा जिन्गिम अके धार मिलैली
छित्रल जवानी सुधर्ना तार मिलैली
कहे हर्दम खेल्वार कर्ति घुम्लो टुँ
मजा जिन्गिम अके धार मिलैली