नेङ्गाई कसिन हो चप्पलक हिल हेरो ना।
रमेश दङ्गाली राज
तुल्सिपुर दाङ
नेङ्गाई कसिन हो चप्पलक हिल हेरो ना।
भ्याट बलाक अईना बर्का ढिल हेरो ना।।
लिरौसी जमानम ढेकी चक्याँ के पिस्टाँ।
गाउँम बा सेल्लर हल्लर उ मिल हेरो ना।।
प्रेमील जोडि बैस्ठँ जब चियक चुस्किले।
का खैठँ हजारौं रूप्याँ पुग्ना बिल हेरो ना।।
चुनाउ अाईबेर अाश्वासन डेठ झुठ नेताव।
बत्ठँ डारू कौनो मत्वार फिलफिल हेरो ना।।
न हासँ स्याकट न रूई स्याकट रमेश्या यी।
का हुईल कठो सद्द टुटल म्वा दिल हेरो ना।।