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आघा बरहे बेर आंखी, गरुईया धेर बाता


अर्जुन चौधरी
बनघुस्री बर्दिया

आघा बरहे बेर आंखी, गरुईया धेर बाता
एक्का देशके जन्ता , लरुईया धेर बाता!!

कर्ना कुछु निहो खाली भाषण केल मर्था
विकास के लाग बाट, करुईया धेर बाता

रहल जमिन सब जिम्दरवान के होगील!!!
बस्ती बैठकलाग बनवा, फरुईया धेर बाता

काहो समाजके रित, सोचा निसेकजाईथ
प्रगती देखना नि हुईथ, जरुईया धेर बाता

सरकार आँखी खोलो अब सुत्ना दिन निहो
देशके गत देखके बाट, धरुईया धेर बाता