टुहिन लैजाके टुहा दाइहे माउ कहम||थारू साहित्यम लौव युवा #फाउन्डेसन
बिर बहादुर कुसुम्या जलन
त्रिपुर १२ दुबिचौरा दाङ
टुहिन लैजाके टुहा दाइहे माउ कहम
बह्रीम "रहु कि मै"भित्तर जाउ कहम
गैलसे "सस्रार मुर्घा के "फेन्ड्वा सङ्ग
सालिक दिहल डारु फेर खाउ कहम
जस्त सुग्घर घोटैली टु अप्सरा जसिन
वस्त मजा टुहाँर देख्नु उ गाउँ कहम
खब पल्कैना हस मैयाँ कर्ठी जेठिन्या
भेटाए मै तुल्सिपुर बजार आउ कहम
जिन्दगी भर मैयाँ कैख मटाइ देहो ना
हजार ";जुनि जुनि टुहिन "पाँउ कहम